बिहार की महिलाओं के लिए एक ऐतिहासिक घोषणा, मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने की है। अब मुख्यमंत्री महिला स्वयं सहायता समूह योजना (JEEViKA) के तहत जो 10 हजार रुपये की सहायता राशि महिलाओं को दी जाती है, उसे वापस नहीं करना होगा। यह फैसला महिलाओं के आर्थिक सशक्तिकरण और आत्मनिर्भरता की दिशा में एक बड़ा कदम माना जा रहा है।
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का बड़ा ऐलान: महिलाओं को अब नहीं लौटाना होगा 10 हजार रुपये
| आर्टिकल का प्रकार | Bihar Mahila Rojgar 10 Hajar New Important Update Today |
| आर्टिकल का नाम | मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का बड़ा ऐलान: महिलाओं को अब नहीं लौटाना होगा 10 हजार रुपये |
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Bihar Mahila Rojgar 10 Hajar New Important Update Today
💬 मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का बड़ा ऐलान: महिलाओं को अब नहीं लौटाना होगा 10 हजार रुपये
बिहार की महिलाओं के लिए एक ऐतिहासिक घोषणा, मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने की है। अब मुख्यमंत्री महिला स्वयं सहायता समूह योजना (JEEViKA) के तहत जो 10 हजार रुपये की सहायता राशि महिलाओं को दी जाती है, उसे वापस नहीं करना होगा।
यह फैसला महिलाओं के आर्थिक सशक्तिकरण और आत्मनिर्भरता की दिशा में एक बड़ा कदम माना जा रहा है।
मुख्यमंत्री ने यह घोषणा वैशाली जिले के जंदाहा में आयोजित एक जनसभा के दौरान की, जहाँ उन्होंने कहा —
“महिलाओं ने बिहार में विकास की नई मिसाल कायम की है। अब उन्हें जो 10 हजार रुपये दिए गए हैं, वो वापस नहीं करने होंगे। यह सरकार की तरफ से उनकी मेहनत को सम्मान है।”
🔹 इस योजना का उद्देश्य क्या है?
मुख्यमंत्री महिला स्वयं सहायता समूह योजना (JEEViKA) बिहार सरकार की एक महत्वाकांक्षी योजना है।
इसका उद्देश्य ग्रामीण महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाना, छोटे व्यापार शुरू करने के लिए वित्तीय सहायता देना और उन्हें संगठित आर्थिक ढांचे से जोड़ना है।
पहले इस योजना के तहत:
- महिलाओं के स्वयं सहायता समूहों (SHGs) को 10,000 रुपये तक की राशि बिना ब्याज के ऋण (Interest Free Loan) के रूप में दी जाती थी।
- यह राशि एक निश्चित समय सीमा में लौटानी होती थी।
लेकिन अब मुख्यमंत्री के इस नए फैसले के बाद, यह राशि “ग्रांट” (अनुदान) के रूप में दी जाएगी — यानी महिलाओं को अब इसे वापस नहीं करना होगा।
🔹 मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने क्या कहा?
जंदाहा की जनसभा में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा कि महिलाएँ बिहार के विकास की असली शक्ति हैं।
उन्होंने कहा:
“हमने महिलाओं को सम्मान और अवसर देने के लिए कई योजनाएँ शुरू की हैं। पहले वे घर तक सीमित थीं, अब वे समूह बनाकर व्यवसाय चला रही हैं। उनकी मेहनत देखकर हमने तय किया है कि उन्हें 10 हजार रुपये की राशि वापस नहीं करनी होगी।”
नीतीश कुमार ने यह भी कहा कि सरकार ने महिलाओं के लिए 50 प्रतिशत आरक्षण पंचायत से लेकर नौकरियों तक लागू किया है।
उनके अनुसार, “बिहार में महिला सशक्तिकरण सिर्फ नारे तक सीमित नहीं, बल्कि ज़मीनी हकीकत है।”
🔹 महिलाओं के लिए सरकार की अन्य प्रमुख योजनाएँ
नीतीश सरकार ने पिछले कुछ वर्षों में महिलाओं के लिए कई योजनाएँ चलाई हैं, जिनका सीधा असर ग्रामीण और शहरी दोनों वर्गों पर पड़ा है।
कुछ प्रमुख योजनाएँ इस प्रकार हैं:
| योजना का नाम | उद्देश्य |
|---|---|
| मुख्यमंत्री बालिका साइकिल योजना | लड़कियों को स्कूल तक पहुँचाने के लिए मुफ्त साइकिल प्रदान करना |
| मुख्यमंत्री कन्या उत्थान योजना | लड़कियों की शिक्षा और विवाह के लिए आर्थिक सहायता |
| जीविका (JEEViKA) कार्यक्रम | महिलाओं को समूह बनाकर व्यवसाय, खेती, पशुपालन, हस्तशिल्प आदि में प्रोत्साहन |
| पोषण अभियान और महिला स्वास्थ्य कार्यक्रम | महिलाओं और बच्चों के पोषण व स्वास्थ्य में सुधार |
इन योजनाओं का सीधा उद्देश्य महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाना और उन्हें समाज के मुख्यधारा में लाना है।
🔹 जीविका योजना की भूमिका
जीविका (JEEViKA) बिहार सरकार की सबसे सफल ग्रामीण योजनाओं में से एक है।
इसकी शुरुआत 2006 में हुई थी और इसे बिहार ग्रामीण आजीविका मिशन (BRLPS) द्वारा चलाया जाता है।
आज राज्य भर में 10 लाख से अधिक महिला स्वयं सहायता समूह (Self Help Groups) सक्रिय हैं।
इन समूहों की महिलाएँ—
- दूध उत्पादन,
- सब्ज़ी खेती,
- सिलाई-कढ़ाई,
- हस्तशिल्प,
- किराना और छोटे उद्योगों में कार्यरत हैं।
अब मुख्यमंत्री के इस नए फैसले से जीविका से जुड़ी लाखों महिलाओं को सीधा लाभ मिलेगा।
🔹 10 हजार रुपये न लौटाने का प्रभाव
यह निर्णय न केवल महिलाओं को आर्थिक रूप से मजबूत करेगा, बल्कि ग्रामीण अर्थव्यवस्था में नई जान फूँक देगा।
प्रमुख लाभ:
- महिलाओं का आर्थिक बोझ कम होगा।
अब उन्हें कर्ज चुकाने की चिंता नहीं होगी। - व्यवसायिक आत्मविश्वास बढ़ेगा।
महिलाएँ नए व्यवसाय शुरू करने के लिए प्रेरित होंगी। - परिवार की आय में वृद्धि होगी।
छोटे व्यापार से परिवार की स्थिति बेहतर होगी। - ग्रामीण विकास को गति मिलेगी।
जीविका समूहों के विस्तार से गाँवों की अर्थव्यवस्था मज़बूत होगी।
🔹 मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की नीति: “अपने परिवार के लिए कुछ नहीं किया”
कार्यक्रम में मुख्यमंत्री ने यह भी कहा कि उन्होंने अपने व्यक्तिगत परिवार के लिए कुछ नहीं किया, बल्कि पूरा जीवन बिहार के विकास और जनता के कल्याण के लिए समर्पित किया है।
उन्होंने कहा —
“मैंने अपने परिवार के लिए कुछ नहीं किया। मेरा पूरा ध्यान बिहार की जनता पर है। 2005 से अब तक जितना काम हुआ है, वो जनता के विश्वास से हुआ है।”
नीतीश कुमार ने अपने भाषण में विपक्ष पर भी निशाना साधा और कहा कि कुछ लोग झूठ फैलाकर जनता को गुमराह करते हैं, जबकि सच्चाई यह है कि सरकार ने शिक्षा, स्वास्थ्य, रोजगार और महिलाओं के क्षेत्र में अभूतपूर्व कार्य किए हैं।
🔹 2025 तक महिलाओं को मिलेगा और बड़ा अधिकार
मुख्यमंत्री ने संकेत दिया कि 2025 तक राज्य में महिलाओं के लिए और नई योजनाएँ शुरू की जाएँगी।
उन्होंने कहा कि सरकार का लक्ष्य है कि हर गाँव की महिलाएँ आर्थिक रूप से स्वतंत्र हों और राज्य की आर्थिक शक्ति का आधार बनें।
उन्होंने दावा किया कि अगले चरण में:
- हर जीविका समूह को डिजिटल पेमेंट सिस्टम से जोड़ा जाएगा।
- महिलाओं को ई-मार्केटिंग की ट्रेनिंग दी जाएगी।
- राज्य सरकार ग्रामीण स्तर पर महिला उद्योग केंद्र भी स्थापित करेगी।
🔹 महिलाओं की प्रतिक्रियाएँ
नीतीश कुमार के इस फैसले से बिहार की महिलाओं में खुशी की लहर है।
वैशाली, समस्तीपुर, गया और दरभंगा जिलों से आई महिलाओं ने कहा कि अब वे इस पैसे से अपना काम बढ़ाएँगी।
सीता देवी (वैशाली) कहती हैं —
“हमने सोचा था पैसा लौटाना पड़ेगा, लेकिन अब सरकार ने जो भरोसा दिखाया है, उससे हमारी हिम्मत बढ़ गई है।”
गुड़िया कुमारी (दरभंगा) ने कहा —
“अब हम इस पैसे से दुकान बढ़ाएँगे और अपने बच्चों की पढ़ाई में खर्च करेंगे।”
🔹 विशेषज्ञों की राय
आर्थिक विशेषज्ञों के अनुसार, यह निर्णय महिलाओं के लिए सूक्ष्म स्तर पर आर्थिक आज़ादी का प्रतीक है।
राज्य की GDP में महिलाओं की भागीदारी अभी भी सीमित है, और इस तरह के निर्णय उन्हें मुख्यधारा में लाने में मदद करेंगे।
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि यह फैसला आगामी विधानसभा चुनावों से पहले महिलाओं के विश्वास को और मज़बूत करेगा।
🔹 आलोचनाएँ भी आईं सामने
कुछ विपक्षी दलों ने इस घोषणा को राजनीतिक रणनीति बताया है।
उनका कहना है कि राज्य की आर्थिक स्थिति पहले से ही कमजोर है, और इस तरह की घोषणाएँ वित्तीय बोझ बढ़ा सकती हैं।
हालाँकि, समर्थकों का तर्क है कि महिला सशक्तिकरण पर खर्च कोई बोझ नहीं, बल्कि निवेश है।
🔹 बिहार में महिला सशक्तिकरण की यात्रा
पिछले दो दशकों में बिहार ने महिला सशक्तिकरण के क्षेत्र में उल्लेखनीय प्रगति की है।
2005 में जब नीतीश कुमार पहली बार मुख्यमंत्री बने, तो उन्होंने महिलाओं को शिक्षा, रोजगार, और राजनीति में समान भागीदारी देने की दिशा में काम शुरू किया।
आज स्थिति यह है कि:
- पंचायत चुनावों में 50% सीटें महिलाओं के पास हैं।
- सरकारी नौकरियों में 35% आरक्षण महिलाओं को मिला है।
- लाखों महिलाएँ स्वयं सहायता समूहों के माध्यम से रोजगार कर रही हैं।
यह निर्णय उसी यात्रा का एक और मील का पत्थर है।